When Life Gives You Tangerines
कभी-कभी ज़िंदगी अचानक ऐसा फल थमा देती है, जो न नींबू होता है, न संतरा। कुछ अजीब, गोल-मटोल सा फल – देखने में क्यूट, खाने में मीठा, लेकिन बीच में बीज ज़रूर होता है। उसी को कहते हैं – तेंजरीन।
अब मान लो एक दिन आप ऑफिस से थके-हारे लौट रहे हो, बॉस ने फिर से टीम मीटिंग में बिना बात के आलोचना कर दी, रास्ते में स्कूटी पंचर हो गई, और घर आकर मम्मी ने बोल दिया – “आज सब्जी खत्म है, मैगी बना लो।” ऐसे में अगर आप एक स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म खोलो और स्क्रीन पर लिखा हो – When Life Gives You Tangerines, तो दिल बोलेगा – भाई, टाइटल relatable है।
जैसे पुरानी कहावत थी — “When life gives you lemons, make lemonade.” वैसे ही अब ज़माना बदल गया है, तो सिट्रस भी अपग्रेड हो गया है। अब कहावत कुछ यूं है: “When life gives you tangerines, enjoy the pulp, spit the seeds, and chill like it’s Sunday!” | जब ज़िंदगी कीनू (orange से छोटा, attitude में बड़ा) दे, तो रस पी, बीज थूक, और इतवार समझ के लेट जा – यही है असली तजुर्बा।
असल में ज़िंदगी हमेशा आपको अपने मन का अमरूद नहीं देती। कभी भिंडी जैसी उलझन, कभी करेला जैसा दर्द, और कभी-कभी कीनू जैसा mixed fruit – जहां मीठा भी है, बीज भी है, और छिलका थोड़ा खट्टा।
बुज़ुर्ग होते शरीर में जवान दिल
सीरीज़ की आख़िरी एपिसोड में, 70 साल की एक महिला अपनी बेटी से कहती है — “बुढ़ापा कुछ खास नहीं होता। अंदर से सब वैसा ही लगता है, बस शीशे में एक बूढ़ी औरत दिखती है।”
अब देखो, यह लाइन अकेले सुनने में तो एक फॉरवर्ड मैसेज लगती है, लेकिन जब आपने उसके साथ 70 साल की कहानी जी हो — एक माँ, एक पत्नी, एक कवयित्री, एक इंसान के तौर पर — तब यह लाइन सीधा दिल में उतरती है। जैसे कोई पुरानी याद दिला दे कि हां यार, हम सब कहीं न कहीं वही बच्चे हैं, जो सिर्फ बाहर से बड़े हो गए।
यह कहानी एक ऐसी औरत की है, जो एक द्वीप जैसे खूबसूरत लेकिन सख्त इलाके में बड़ी होती है, और अपने सारे सपनों को एक टोकरी में डालकर, उन्हें कविता में बदल देती है।
हमारे आसपास भी तो ऐसी ही कहानियाँ हैं। कॉलोनी की रेखा आंटी, जिन्होंने पति के जाने के बाद बच्चों को पालने के लिए अचार का छोटा बिजनेस शुरू किया – अब डिजिटल दुनिया में भी एक्टिव हैं। या वो लड़की, जो इंग्लिश मीडियम स्कूल में जाने का सपना देखती थी लेकिन हिंदी मीडियम में टॉप कर गई – अब उसी स्कूल में टीचर बन गई।
उस महिला की भी यही कहानी है। उसकी ज़िंदगी में पैसे नहीं थे, लेकिन मोहब्बत थी। सपने पूरे नहीं हुए, लेकिन जज़्बा कभी मरा नहीं। बचपन में माँ को खोया, जवानी में प्यार को अलविदा कहा, लेकिन फिर भी वो अपने आस-पास वालों के लिए sunshine बनी रही – जैसे उस द्वीप की वो सुबहें, जब सूरज बादलों से लुका-छिपी खेलता है, पर निकलता ज़रूर है।
अब सोचो, हमारे यहां अगर कोई लड़की अपने पैसे से पढ़ाई करना चाहे, तो लोग क्या कहते हैं? “अरे छोड़ो बिटिया, शादी की तैयारी करो। किसके लिए MBA करोगी?” लेकिन उसने सोचा, “चलो कोई बात नहीं, ज़िंदगी अगर school बंद कर दे, तो खुद की class खोलते हैं।” और बुज़ुर्ग होने के बाद कविता की क्लास शुरू कर दी।
यानी 60 की उम्र में वो बन गईं कॉलेज वाली dream girl – थोड़ी मोटी specs, थोड़ी कड़क आवाज़, लेकिन अंदर से वही teenager जो अपने पहले crush को चिट्ठी में कविता भेजती थी।
अब प्यार की बात चली है, तो थोड़ा उसकी बेटी का जिक्र भी कर लेते हैं – जो दिखने में बड़ी sophisticated, लेकिन दिल से बिल्कुल अपनी माँ जैसी। पहले प्यार में दिल टूटा, वो भी पूरे बॉलीवुड स्टाइल में। ससुराल वालों को उसका साधारण परिवार पसंद नहीं आया – जैसे वो किसी छोटे शहर से आई हो।
अब सोचो, ये सीन तो इंडिया में हर दूसरी लड़की के साथ होता है। लड़के वाले पूछते हैं – “कहाँ की हो?” जैसे पासपोर्ट चेक कर रहे हों। फिर लड़की के घर का पंखा भी एक parameter बन जाता है शादी के लिए।
उसे शादी से reject कर दिया गया, लेकिन उसने हार नहीं मानी। खुद की कंपनी खोली – और अपने जैसी हज़ारों औरतों के लिए online learning प्लेटफॉर्म बना दिया। एकदम startup वाली vibes – बस बिना टीवी शो के।
और फिर कहानी में एंट्री होती है पुराने कॉलेज दोस्त की – एकदम loyal lover, जो literally बस पकड़ के उसके पीछे दौड़ पड़ता है। अब ये सीन देखकर लगा, यार ये तो वही बंदा है जो कॉलेज में पूजा के पीछे भागा था, लेकिन पूजा BCom की toppper बनकर दूसरे शहर निकल गई। पर वो नहीं रुका, और वो भी अब इतनी थकी हुई थी कि उसने खुद से पूछा – “प्यार वही जो temperature सही रखे ना?” यानी ना ज्यादा उबाल, ना ठंडी जलेबी – बस गरमागरम इमोशन्स।
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बात करें उसके पति की – तो वो एकदम शांत स्वभाव का इंसान था। ज़्यादा बोलता नहीं, feelings चुपचाप समंदर में छोड़ आता था, और हर बार मछली लेकर लौटता था। यानी typical Indian husband goals – “काम से लौटो, जिम्मेदारी निभाओ, और पत्नी की इज्ज़त करो।” लेकिन अंत में जब उसके जाने का वक्त आता है, तो वो रोते हुए बोलता है – “मैंने तुम्हारी ज़िंदगी मुश्किल बना दी।”
और वो जवाब देती है – “तेरे साथ एक दिन भी अकेली नहीं रही।”
अब ये लाइन सुनकर तो आंखें भर आईं। ये वही इमोशन है जब आपकी दादी ये कहती हैं – “तेरे दादा जी लड़ते बहुत थे, पर चाय साथ पीते थे रोज़।”
उनका रिश्ता कोई fairy tale नहीं था, लेकिन real था। बिल्कुल हमारे पापा-मम्मी जैसा – जहां कभी ‘I love you’ नहीं बोला गया, लेकिन झगड़े के बाद भी परांठे में extra मक्खन ज़रूर लगाया गया।
वो द्वीप की वादियाँ, वो महिलाएं जो समंदर में गोता लगाती हैं (haenyeo), और वो museum जहां उनकी यादें जिंदा रहती हैं – ये सब बस backdrop नहीं हैं। ये असली ज़िंदगी की कहानी हैं, जहां सपने फेरे नहीं लेते, लेकिन इतिहास बन जाते हैं।
फिनाले में, जब वो महिला समंदर की तरफ देखती है और अपनी माँ को पुकारती है – वो सीन देखकर ऐसा लगता है जैसे अपने बचपन की हर अधूरी बात वहाँ जाकर पूरी हो रही हो।
और शो की आखिरी लाइन – “थैंक यू, दिल से।” यानी तेंजरीन के हर बीज के लिए, हर छिलके के लिए, हर मीठे pulp के लिए – शुक्रिया।
अब सोचो, अगर आपकी ज़िंदगी में भी तेंजरीन आए – जैसे बॉस की डांट, Crush का seenzone, या LIC एजेंट का दोबारा कॉल आना – तो आप क्या करेंगे?
Option A: गुस्सा खाओ
Option B: चुप रहो
Option C: तेंजरीन का juice बनाओ, बीज थूको, और अपने लिए poetry लिखो
Option C हमेशा सबसे juicy रहेगा।
Life gives you tangerines meaning: इसलिए अगली बार जब ज़िंदगी आपको अपने प्लान के बजाय कोई random फल थमा दे – तो निराश मत होना। बस उसे peel करो, उसके अंदर झाँको, और समझो – असली sweetness वहीं है।
क्योंकि असली तेंजरीन वो नहीं जो पेड़ पर उगता है – असली तेंजरीन तो वो होता है जो ज़िंदगी बीच में उछाल देती है – थोड़ा खट्टा, थोड़ा मीठा, पर आखिर में दिल को जरा छू जाता है।