“Sleep Divorce” — सुनते ही लगा जैसे किसी टीवी सीरियल का नया ट्विस्ट आया हो। Divorce तो समझ में आता है, पर ये बीच रात को ‘सोने’ को लेकर अलग सोने का फैसला कैसा?
लेकिन जब मैंने खुद ये कदम उठाया, तो समझ में आया — ये कोई दूर जाने वाला मामला नहीं, बल्कि एक बेहतर साथ रहने का तरीका है। यानी relationship की साफ-सफाई — अंदर से।
“Shaadi ke baad ek hi bistar mein sona padta hai” – किसने कहा था ये? शायद ज़रूरी नहीं था।
मैं और मेरे पति शादी के आठवें साल में थे — दो बच्चों के माता-पिता, full-time jobs वाले, और हर वक़्त थके हुए लोग। दिन में हम दोनों सभ्य इंसान की तरह behave करते थे, पर रात में हमारा बेडरूम बॉम्बे लोकल बन जाता था — कोई तकिया खींच रहा है, कोई खर्राटों से दीवारें हिला रहा है, कोई पानी पीने उठ रहा है, कोई बच्चे के टॉयलेट जाने पर जाग रहा है… और सुबह का पहला डायलॉग होता था — “कल रात तो मुझे नींद ही नहीं आई।”
हर रात मैं mental checklist बनाती थी — snore guard पहनाया या नहीं? क्योंकि अगर नहीं, तो रात 2 बजे hubby उठाकर कहेगा, “प्लीज़ वो पहन लो, मेरी नींद टूट गई।” और मैं आधी नींद में सोचती थी — “जब तुम्हारा tissue डस्टबिन में नहीं जाता, तब मैं क्या करूं?” वो भी उस वक़्त जब मेरी नींद सबसे प्यारी चल रही हो।
एक रात तो मैंने थक हारकर धीरे से कह दिया — “मुझे सिर्फ एक शांति भरी नींद चाहिए।”ल्ला पड़ी, “Bhaad mein jaayein ye relationship, mujhe sirf ek peaceful नींद चाहिए!”
Nayi Definition of Togetherness
एक दिन हमने casual बातचीत में ये तय किया — चलो कुछ रातों के लिए अलग-अलग कमरों में सोते हैं। कोई ego नहीं, कोई नाराज़गी नहीं, बस थोड़ा personal space और आराम।
शुरुआत में थोड़ा अजीब लगा — जैसे कोई शादीशुदा नियम तो नहीं तोड़ रहे? पर जैसे-जैसे हमने अलग सोना शुरू किया, हमें समझ आने लगा — ये तो हमारे relationship का comfort upgrade बन गया!
अब मुझे वो guilt-free टाइम मिलता है जब मैं अपने बिस्तर पर आराम से लेटकर “Bigg Boss OTT” देख सकती हूं, leftover biryani खा सकती हूं, और Instagram scroll कर सकती हूं — बिना कोई remote छीने जाने का डर! उधर वो अपने कमरे में चैन से cricket highlights देखता है। पहले दोनों ही एक remote के लिए ‘silent conflict’ करते थे, अब culture exchange हो रहा है — कभी मैं उसके साथ Bill Maher देख लेती हूं, कभी वो मेरे साथ “Shark Tank India”।
Closer Than Ever
सबसे अच्छा बदलाव ये हुआ कि हमारे बीच की closeness और बढ़ गई। पहले intimacy एक routine जैसा था — थोड़ा predictable। अब जब हम अलग सोते हैं, तो साथ आने का समय हम consciously plan करते हैं। कभी डेट नाइट, कभी weekend movie, कभी साथ बैठकर dinner करना — सब intentional हो गया है।
अब डिनर पर साथ होते हैं तो फोन नहीं, एक-दूसरे की बातें देखते-सुनते हैं। वो जब casually कहता है, “शुक्रवार को बाहर चलते हैं,” तो मुझे लगता है — हाँ, connection अभी भी गहरा है। अब वो एक्साइटमेंट आ गया है, जो पहले शायद थकान के नीचे दब गया था।
कभी-कभी तो lunch break में या बच्चों की playdate के दौरान एक साथ बैठने का time निकालते हैं — जैसे फिर से dating शुरू कर दी हो।
Everyday चीज़ों में भी Extra Warmth
अब सुबह का माहौल भी अच्छा होता है। पहले तो लगता था जैसे किसी मैदान-ए-जंग से लौटे हों — कोई brushing के लिए भाग रहा है, कोई uniform iron कर रहा है, और हम zombie जैसे एक-दूसरे को देख रहे होते थे।
अब एक proper schedule है — कौन कब उठेगा, कौन बच्चों को तैयार करेगा — और हम दोनों उस पर टिके रहते हैं। क्योंकि नींद अब पूरी होती है, तो energy भी ज्यादा होती है।
अब weekend पर plan करके movie जाना, café जाना, या साथ टहलना भी ज़्यादा exciting लगता है। प्यार पहले जैसा ही है — पर अब उसमें ज्यादा समझदारी, ज़िम्मेदारी और एक दूसरे की value की appreciation है।
Small Gestures Now Feel Big
अब जब मेरा husband casually पूछता है, “तुम्हारी spin class कब खत्म होगी? चलो, फिर साथ grocery करते हैं,” तो उस पल में भी खुशी महसूस होती है। पहले ये सब बस काम था, अब ये साथ बिताने का वक़्त बन गया है।
Social & Emotional
कुछ लोग पूछते हैं — “अलग सोने से दूरियां नहीं आती?” लेकिन सच ये है कि emotional दूरी तब आती है जब दो लोग एक कमरे में होते हुए भी disconnected होते हैं। हमारे बीच अब communication और भी बेहतर हो गया है — क्योंकि हम consciously time निकालते हैं बात करने का, एक-दूसरे को सुनने का। और जब दोनों की नींद पूरी हो, तो लड़ाई की भी ज़रूरत नहीं पड़ती।
ये सिर्फ हमारा अनुभव नहीं
2025 में ResMed के एक survey के मुताबिक़ करीब 18% couples रोज़ाना अलग सोते हैं — और ये आंकड़ा बढ़ रहा है। Star Hospitals की रिपोर्ट बताती है कि जो लोग अलग सोते हैं, उनमें से 53% की नींद बेहतर होती है। और Be Beautiful India की रिसर्च कहती है कि बहुत से लोग self-care और mental peace के लिए ये फैसला लेते हैं — जिससे रिश्ता और मजबूत होता है।
भारतीय कपल्स के लिए sleep divorce थोड़ा असहज टॉपिक हो सकता है — क्योंकि हमारी फिल्मों में हमेशा ये दिखाया जाता है कि जोड़े एक ही रज़ाई में होते हैं। पर असल ज़िंदगी में सुकून से सोना भी एक commitment है।
Ofcom UK की Online Safety रिपोर्ट और Beeban Kidron जैसे मानसिक स्वास्थ्य एक्टिविस्ट भी कहते हैं — quality sleep एक emotional wellness tool है। और अगर नींद की कमी से चिड़चिड़ापन या मनमुटाव बढ़ रहा है, तो इस पर ध्यान देना ज़रूरी है।
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कुछ चुनौतियाँ भी होती हैं
कभी-कभी अकेलापन महसूस होता है। कभी लगता है, शायद ये दूरी है। पर जब विश्वास और बातचीत बनी रहे, तो ये दूरी पास लेकर आती है।
अब तो हम एक-दूसरे को सेलिब्रिटी इंटरव्यू भेजते हैं — “देखो, ये भी sleep divorce को support करते हैं!”
और हां, ऐसा नहीं कि अब सारे काम बराबर बंट गए हैं — अभी भी मैं dustbin साफ करती हूं और वो किचन पर दूध की थैली छोड़ देता है। लेकिन अब गुस्सा नहीं आता — बस लगता है, “चलो, आज कम से कम नींद तो पूरी हुई।”
Article “Sleep Divorce” के अंत में…
Sleep divorce कोई अलगाव नहीं, बल्कि समझदारी है — ये कोई अंतिम समाधान नहीं, बल्कि self-care का एक तरीका है। जैसे vitamin — जो marriage को sustainable बनाता है।
अगर आपको भी लगता है कि नींद की कमी से रिश्ता प्रभावित हो रहा है, तो थोड़ा सोचिए — शायद आराम से सोना ही वो बदलाव हो जिसे आपका रिश्ता ढूंढ रहा है।
हम अब एक-दूसरे के साथ कम सोते हैं — पर एक-दूसरे को कहीं ज़्यादा समझते हैं।
शायद यही सच्चा साथ है — जब आप जान लें कि किसी के साथ रहने के लिए, आप उसके साथ कभी-कभी सोने का तरीका भी बदल सकते हैं।
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