Neend Toh Sirf Alarm Ke Baad Aati Hai

Neend Toh Sirf Alarm Ke Baad Aati Hai

रात के 11 बजे हैं। आंखें खुली हैं, दिमाग इंस्टाग्राम रील्स और यूट्यूब शॉर्ट्स में फंसा है। “बस एक और वीडियो देखकर सोता हूं” वाला झूठा वादा हर रात दोहराया जाता है। फिर कब दो बज जाते हैं, पता ही नहीं चलता। मोबाइल की स्क्रीन आखों में घुसी रहती है और शरीर थका हुआ होने के बावजूद दिमाग एक्टिव – क्योंकि मन नहीं मानता।

नींद नहीं आ रही? तो इस आर्टिकल को फिर से पढ़ो… तीसरे पैराग्राफ तक पहुँचते-पहुँचते नींद आ ही जाएगी।

अलार्म के बाद की Neend: एक स्वर्गिक अनुभव

अब असली मज़ा तो तब आता है जब सुबह 6:30 बजे अलार्म बजता है। तभी नींद अपने सबसे पवित्र, सबसे शांत और सबसे जादुई रूप में अवतरित होती है। जितनी गहरी नींद उस समय आती है, उतनी पूरी रात जूझने पर भी नहीं आती। जैसे अलार्म एक दरवाजा हो और उसके बजते ही कोई स्वर्गिक नींद भीतर घुस आए।

अलार्म को हम बहादुरी से ‘स्नूज़’ करते हैं, और वो जो 5 मिनट की बोनस नींद होती है ना… वही असली प्रेम कहानी है। वो चादर का गर्म एहसास, वो तकिए की बाहों में सुकून, वो आंखें बंद करते ही सपना शुरू होना – वो सब अलार्म के बाद ही होता है। रात में तो बस करवटें बदलते रहते हैं, छत देखते हैं, सोचते हैं ज़िंदगी कहां जा रही है, लेकिन अलार्म बजते ही सब कुछ शांत हो जाता है – जैसे ब्रह्मांड हमें कह रहा हो, “सो जा बेटा, अभी तो असली नींद शुरू हुई है।

सपनों का असली टाइम: अलार्म के बाद

नींद के साथ-साथ सबसे खूबसूरत सपने भी अलार्म के बाद ही आते हैं। कोई Paris में घूम रहा है, कोई पुराने प्यार से मिल रहा है, कोई lottery जीत रहा है — और तभी मम्मी चिल्ला देती हैं या फिर बॉस का कॉल आ जाता है। सपना टूट जाता है, और ज़िंदगी फिर से रियल मोड में आ जाती है।

नींद और प्यार में कुछ फर्क नहीं

नींद भी आजकल एक गर्लफ्रेंड की तरह हो गई है — रात भर ignore करती है, लेकिन सुबह अलार्म के बाद अचानक से romantic हो जाती है। और जब आपसे अलग होती है (मतलब उठना पड़ता है), तो दिनभर बस उसकी याद सताती है।

जब मम्मी ही अलार्म बन जाए

घर में अलार्म से बड़ा खतरा होता है — मम्मी की तेज आवाज।
“उठ जा बेटा, 8 बज गए!”
और हम: “बस 5 मिनट और…”
मम्मी: “5 मिनट-5 मिनट करते करते लाइफ भी निकल जाएगी।”
कभी-कभी लगता है, अलार्म mute हो जाए तो मम्मी का चिल्लाना शुरू हो जाता है। और नींद का क्या? वो फिर से गायब हो जाती है।

नींद: जो जब चाहिए तब नहीं मिलती

सोचो, जिस दिन Sunday है और अलार्म नहीं लगाया — तब तो सुबह 6 बजे ही आँख खुल जाती है। लेकिन जब ज़रूरत हो, meeting हो, exam हो, तब तो नींद ऐसे आती है जैसे बचपन की मम्मी की गोदी में लौट आए हों। ये शरीर की सबसे बेवफा सेटिंग है।

“Early to bed, early to rise” सिर्फ किताबों में अच्छा लगता है

जो लोग कहते हैं “जल्दी सोओ, जल्दी उठो” — उनसे पूछो, क्या रात को कोई सोने देता है? Social media, चुपचाप चलने वाला ceiling fan, पास वाला कुत्ता जो बिना वजह भौंकता है — सब मिलकर नींद से दुश्मनी कर लेते हैं। फिर भी सुबह का अलार्म जैसे ही बजता है — नींद Goddess बनकर प्रकट हो जाती है।

BMJ की आखिरी बात: नींद हमारी सबसे सच्ची साथी है

भाई नींद सिर्फ सोने का नाम नहीं है, ये वो मुफ़्त का मेंटल थैरेपी पैक है जो बिना EMI के मिल जाता है — बस टाइम पर ले लो। नींद वो रिफ्रेश बटन है जो दिमाग की टेंशन, दिल की उलझनें और मोबाइल की स्क्रॉलिंग की थकान को Ctrl+Alt+Delete कर देता है। सुबह नींद पूरी हो तो इंसान बॉस की गाली भी शेर की दहाड़ समझकर सुन लेता है, लेकिन अगर नींद अधूरी हो… तो ATM की लाइन में भी तलाक जैसा मूड बन जाता है। तो भाई, अगर ज़िंदगी की झंझटों से सच में “Bhaad me ja” बोलकर दूर जाना है, तो पहले रोज़ 7 घंटे की नींद पूरी करना सीखो — बाक़ी सब तो Insta reel है।

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कुछ देसी नींद लाने का तरीका-नींद बचाओ टिप्स:

1. अलार्म ऐसा लगाओ जो आपकी आत्मा को हिला दे
कोई अच्छा-सा म्यूजिक मत लगाना… “रातां लम्बियां” या “शिव तांडव” पर उठने की कोशिश मत करो।
असली उठाने वाला अलार्म वो होता है जो आपको उठने पर मजबूर कर देऊंची आवाज में

2. मोबाइल तकिया के नीचे मत रखो — वो चुपचाप Instagram खोल देगा
तकिया के नीचे रखोगे तो Mobile तुम्हारा दोस्त नहीं, नींद का दुश्मन बन जाएगा।
उससे दूर रखो, कम से कम उठकर चलोगे तो नींद भागेगी।

3. SNOOZE का मतलब है ‘Sleep Now Or Ultimately Zoom Exit’
हर बार snooze दबाते हो, तो समझो boss की मीटिंग से सीधा exit मिल सकता है।
“Snooze की आदत = boss को अलार्म देने जैसा।”

4. मम्मी को अलार्म मत बताओ, वरना वो snooze नहीं करेंगी, सीधे झाड़ू लाएंगी
मम्मी से बोल दिया कि “कल 6 बजे उठाना”
बस फिर तो वो 5:59 पर आएंगी और बोलेंगी — “क्यों जी, ज़िंदा हो या चाय फेंकूं?”

5. सोने से पहले शांति चाहिए, तो रिश्तेदारों का WhatsApp ग्रुप mute करो
कभी-कभी नींद आती है, लेकिन कोई aunty “शुभ रात्रि” वाली glitter वाली GIF भेज देती है।
Result: नींद गई तेल लेने।

6. अपने दिमाग को बोलो — रात में future planning बंद करो
“कल क्या करूँगा?”, “अगर Elon Musk नौकरी दे दे तो?”
भाई ये सब बातें रात में सोचने की चीज़ नहीं — तब सिर्फ तकिए से रोमांस करो।

7. अपनी चादर को इमोशनल सपोर्ट न समझो, वो सिर्फ कपड़ा है
सुबह चादर से चिपक कर उठने का मन कर सकता है…”, याद रखो —
ये चादर तुम्हारे सपनों की नहीं, तुम्हारी लेट मार्कशीट की जिम्मेदार बन सकती है।

8. सोने से पहले चाय पीना छोड़ो, वरना नींद बोलेगी – “Bye Forever”
Desi जुगाड़ तो ठीक है, लेकिन रात को चाय पीकर सोने का मतलब है —
नींद आई तो क्या… bladder पहले उठ जाएगा।

9. एक रात जल्दी सोने की कोशिश करो, वरना सपने में भी teacher बोला रहे होंगे, ‘सही से खड़े हो जाओ लाइन में’

10. सुबह उठने के लिए crush का message सेट कर लो — fake वाला भी चलेगा
“Good Morning ❤️” लिखा नोटिफिकेशन देखोगे तो दिल खुद ही धड़क उठेगा।
फिर चाहे असली हो या खुद ने टाइप किया हो… नींद तो उड़ ही जाएगी।

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