“बेटा ऐसे मत चलो… लोग क्या कहेंगे?”
“इतनी देर तक बाहर रहे? लोग क्या कहेंगे?”
“अब तक शादी नहीं की? लोग क्या कहेंगे?”
“बाल में नीला रंग? ये क्या फैशन है… लोग क्या कहेंगे?”
हम सब ने ये वाक्य सुना है। शायद बचपन से।
भारत में मौसम से ज़्यादा तेजी से अगर कुछ बदलता है, तो वो है – लोगों की राय।
और यही है वो सवाल जो सबकी लाइफ में कभी ना कभी popup बनकर आता है –
“लोग क्या कहेंगे?”
लेकिन ये “लोग” होते कौन हैं?
इनका कोई नाम नहीं, कोई पता नहीं, कोई प्रोफाइल फोटो नहीं।
फिर भी ये हर जगह होते हैं –
मम्मी की चिंता में, पापा के सुझाव में, और सोशल मीडिया की comments में।
ये वो लोग हैं जो अक्सर आपके decisions पर चुपचाप comment कर जाते हैं।
और कई बार हम उन्हीं की सोच को अपनी limit बना लेते हैं।
🧥 कुछ नया किया? तो चर्चा शुरू…
- आपने अगर कोई हटके कपड़ा पहना
- इंस्टाग्राम पर डांस वीडियो डाली
- या कोई ऐसा सपना चुना जो आम रास्ते से अलग है…
तो बस… एक silent group ready है
“अब क्या नया चल रहा है इनके दिमाग में?”
“इतनी आज़ादी ठीक नहीं…”
“लगता है influencer बनने का mood है!”
मतलब हर step का analysis तैयार है — वो भी बिना आपसे पूछे।
💔 प्यार हो जाए? तो सवाल शुरू
अगर आप किसी को पसंद करने लगे, तो अगले ही दिन एक invisible forum एक्टिव हो जाता है:
– “कौन है?”
– “क्या background है?”
– “सीरियस है या टाइमपास?”
– “घरवालों को बताया?”
जैसे feelings नहीं, कोई government application process हो।
Job बदल ली? कुछ अपना शुरू किया?
- अगर आप freelancer बन गए
- या corporate छोड़कर अपना कुछ शुरू किया
तो लोगों का response अक्सर ready होता है:
“थोड़ा सोच समझ के चलना चाहिए था।”
“अब शादी कौन करेगा?”
“Self-employed मतलब unemployed?”
LinkedIn पर लिखा “Creative Consultant” = Colony में unofficial unemployment tag!शादी के बाद भी Peace नहीं…
– 1 साल बाद: “कोई good news?”
– 2 साल बाद: “एक और प्लान कर रहे हो?”
– 3 बच्चे? “इतना समय कैसे मिल जाता है?”
बच्चों की प्लानिंग आपकी नहीं, society के calendar के हिसाब से चलनी चाहिए apparently।
Social Media? फिर तो judgment guaranteed
अगर आपने एक solo फोटो डाली जिसमें आप थोड़े चुप दिख रहे हो…
– “ब्रेकअप हुआ है क्या?”
– “डिप्रेशन में लग रहा है।”
– “कुछ तो गड़बड़ है, मैंने भी देखा था उसे अकेले…”
मतलब आपकी फोटो नहीं, mood board बना लिया गया है।
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Mental health की बात की? कुछ लोग घबरा जाते हैं
अगर आपने कहा –
“यार, anxiety लग रही है…”
तो सुनने को मिलेगा:
– “थोड़ा पॉजिटिव सोचो, सब ठीक होगा।”
– “पागल मत बनो यार…”
– “शादी कर लो, सब ठीक हो जाएगा!”
मतलब emotional health को अब भी seriousness नहीं मिलती, बस suggestion list मिलती है।
और फिर… हम भी वही बन जाते हैं
कभी-कभी हम खुद भी “वो लोग” बन जाते हैं:
– किसी की DP देखी और कहा: “क्या स्टाइल है ये…”
– किसी दोस्त का स्टार्टअप देखा और सोचा: “पता नहीं चलेगा क्या चल रहा है।”
– किसी लड़की को ट्रैवल करते देखा और कहा: “हर हफ्ते घूम रही है।”
जैसे judgement का baton एक से दूसरे के हाथ में जाता रहता है।
अब क्या करें?
सबसे अच्छा तरीका?
खुद को समझो, खुद को चुनो – और respectfully, अपना रास्ता बनाओ।
- गुलाबी पहनना चाहते हो? पहन लो।
- नाचना है? नाचो।
- शादी करनी है? करो। नहीं करनी? ना करो।
- ज़िंदगी जीनी है? अपनी शर्तों पर जियो।
और जब अगली बार कोई कहे –
“लोग क्या कहेंगे?”
तो शांति से मुस्कराओ और कहो:
“अगर मैं सबकी सुनता, तो मैं अपनी सुन नहीं पाता।”
🔊 BMJ कहता है:
“लोग क्या कहेंगे” सिर्फ एक वाक्य नहीं, एक पुराना डर है।
और इस डर से बड़ा कोई मज़ाक नहीं।
तो जियो यार… और दूसरों को भी जीने दो।
क्योंकि लोग हमेशा कुछ कहेंगे।
और जब कुछ कहने को ना होगा…
तो फिर भी कुछ कह देंगे।
अगर ये पढ़कर मुस्कराहट आई हो – तो शेयर कर दो।
वरना लोग कहेंगे –
“इतना पढ़ा, और रिएक्ट भी नहीं किया?” 😄