Motivation Ya Manipulation

Motivation Ya Manipulation ?

Reels Dekh Dekh kar lagta hai sab Toppers hain, Aur Hum Bas Loginn Kar Rahe Hain………

Motivation Ya Manipulation – आजकल पढ़ाई सिर्फ पढ़ाई नहीं रह गई। ये एक कंटेंट पीस है। मतलब अगर आपने कोई कोर्स कर लिया, किताब पढ़ ली, या नया स्किल सीख लिया, या नौकरी लग गई, तो उसका सबूत जरूरी है — वो भी वीडियो में, अच्छे लाइटिंग में, बैकग्राउंड में मोटिवेशनल म्यूजिक और कैप्शन के साथ:

“I am not special, I am just focused.”

  • एक समय था जब यूनिफॉर्म पहनने वाला चुपचाप अपना फर्ज़ निभाता था। आजकल यूनिफॉर्म पहनकर सबसे पहले कैमरा ऑन होता है।
  • एक और नया ट्रेंड चल रहा है — पढ़ाई करते हुए वीडियो बनाओ, Pomodoro लगाओ, लोफी म्यूज़िक बजाओ, फिर Result आते ही Uniform पहनकर Reels बनाओ और Caption डालो: “From struggler to officer — Never give up!”

और जैसे ही ये वीडियो पोस्ट होती है,लाखों Views, हज़ारों Likes, और कमेंट्स की बाढ़:

🔥 “Bhai tu toh inspiration है!”

💪 “मैं भी तेरे जैसा बनूंगा!”

👨‍🎓 “बस अब Netflix छोड़ दिया मैंने!”

पर इन सब के बीच,कहीं एक viewer बैठा है —जो या तो अभी भी पढ़ाई कर रहा है,कभी पास नहीं हुआ, लेकिन हार भी नहीं मानी। या किसी और नौकरी में है,या शायद कोई exam छोड़ चुका है। या कोई पढ़ाई छोड़कर घर चलाने के लिए Job कर रहा है,कॉल सेंटर, बैंक, या किसी private firm में।उसका भी सपना था, लेकिन घर की EMI पहले थी।

वो सोचता है —

“क्या मैं loser हूं?”

“मेरे जीवन की कोई value है?”

🎥 जब Motivation बेचने का धंधा बन जाए

पहले पढ़ाई, फिर selection, फिर uniform…

और अब content।

जो कभी aspirant थे, वो अब अक्सर ‘motivational content creators’ बन जाते हैं।

“मैंने 4 बजे उठना शुरू किया, तभी पास हुआ!”

“तू थोड़ा disciplined रहना, syllabus constant खाया कर!”

“Phone छोड़ दे, तभी success मिलेगा!”

कोई पूछे — भाई, तू इंसान है या बॉट?

हर Reel का मकसद:

तुम्हारे guilt से उनके Views बढ़ाना।

तुम्हारे Comparison से उनका Channel चलाना।

😞 अब बात उनके बारे में, जो ये सब देखकर खुद को ‘कमतर’ समझते हैं

मान लो कोई लड़का दिन-रात मेहनत कर रहा है SSC की तैयारी में,

या कोई लड़की बैंक की नौकरी में टाइम निकालकर competitive exam दे रही है,

या कोई middle-class family का बच्चा घर चला रहा है और Part-time पढ़ाई भी कर रहा है।

अब वो जब Insta खोलता है, तो हर जगह बस एक ही सीन —

“Success achieved, आप भी कर सकते हैं!”

और अचानक से उसके दिमाग में एक dialog गूंजता है:

“तू क्या कर रहा है ज़िंदगी में?”

और फिर शुरू होता है —

self-doubt, comparison, guilt

ये सारी feelings हमारे mental health को प्रभावित करती हैं — और यह content manipulation की side-effect की तरह भी काम करती हैं।” और सबसे खराब चीज़ — अपने वर्तमान काम से नफरत। क्योंकि अब वो काम cool नहीं लगता।

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✋ हर नौकरी की इज़्ज़त करो – हर एक की ज़रूरत है

फौज के जवान जरूरी हैं, लेकिन किसान के बिना खाना कौन देगा?

IAS अफसर प्रशासन चलाता है, लेकिन कूड़ा उठाने वाला शहर साफ करता है।

डॉक्टर जान बचाता है, लेकिन पंखा ठीक करने वाला गर्मी से बचाता है।

तो फिर सिर्फ एक तरह की सफलता क्यों glorify हो रही है?

क्यों बाकी सबको guilt gift किया जा रहा है?

🧠 Real Talk: क्या Success को इतना दिखाना ज़रूरी है?

मेहनत की, पास हुए – बधाई हो।

कोई आपसे जलता नहीं, inspiration लेता है।

Success दिखाना बुरी बात नहीं है,

लेकिन बार-बार “देखो मैं Official बन गया” वाली फील रखने से content एक performance दिखता है — motivation नहीं।”

मतलब भाई, एक बार बता दो —

“मैंने SSC क्रैक कर लिया” “क्या Questions आए थे,” कैसे अपने उनका जवाब दिया”

हम ताली भी बजाएंगे, comment भी करेंगे।

लेकिन हर तीसरे दिन नए cap, नए salute वाले Reels मत डालो —

तू officer बना है, influencer नहीं।

तो बात motivation से निकलकर “देखो मैं कितना बड़ा बन गया” वाली flex में चली जाती है।

और यहीं पर फर्क होता है –

आप अपनी journey शेयर करें — स्ट्रगल, failure, lessons…या फिर आप बस end-result को चमकाते फिरें।

🌱 Success को दिखाना नहीं पड़ता, वो खुद दिख जाती है

सोचिए — एक पेड़ जो फल देता है, क्या वो चिल्ला कर कहता है, “देखो आम लग गए मेरे!”

नहीं।

लोग खुद उसके पास आते हैं। फल लेते हैं, आराम करते हैं, और इज़्ज़त देते हैं।

असली Success वो है, जो आपके काम से दिखे, आपके स्वभाव से झलके, ना कि हर तीसरी Reel से चिपकी हो।

🧩 हर इंसान का संघर्ष अलग, रास्ता अलग, टाइमिंग अलग

एक इंसान 22 में UPSC निकालता है, दूसरा 29 में।

कोई रेलवे में है, कोई बैंक में, कोई खेत में।

हर किसी का रोल जरूरी है।

जो आज Motivation बेच रहा है, वो भी कभी किसी वीडियो को देखकर guilt में गया होगा।

बस फर्क ये है —

उसने उससे कुछ सीखा या उस guilt को अब दूसरों में बेच रहा है? “असली success वो है जो आपके काम से झलके — न कि trending hashtags, views या influencer culture के filters से।”

🧘‍♂️ अगर तुम काम कर रहे हो – चाहे कोई भी – तुम कम नहीं हो

Call center हो या courtroom,

Data entry हो या Defence force —

हर काम की अहमियत है।

तुम्हारे नाम के आगे कोई Officer ना लगे,

पर तुम्हारा नाम किसी के घर का चूल्हा जलाता है — यही असली success है।

🔚 और आख़िर में — एक बात समझ लो:

> “Success वो होती है, जब लोग तुम्हें तुम्हारे काम से पहचानें, ना कि तुम्हारे Reels से।” Hero वही होता है, जो बिना Reel बनाए भी रोज़ अपना काम करता है |

“जो लड़के-लड़कियां अभी भी बिना कैमरा सेट किए, बिना कोई highlight reel पोस्ट किए – वह भी strong हैं। वो daily real-life hustle में हिस्सा ले रहे हैं।” यह attention economy critique में fit करता है।

कहीं भी अपना best दे रहे हैं — तुम भी देश की रीढ़ हो।

🤔 कभी आपको भी ऐसा feel होता है?

मतलब Insta खोलते ही लगता है कि सब ज़िंदगी में कहीं पहुंच गए और हम बस दूध उबाल रहे हैं?

अगर हाँ, तो comment करके बताओ

यह article इसलिए लिखा गया है ताकि हम सब समझें कि social media की social media addiction और comparison क्यों कभी सकारात्मक नहीं बन सकती। अगर कभी लगा कि सब Instagram पर कहीं आगे बढ़ गए हैं और तुम बस filtering कर बैठे हो — तो याद रखना, असली जिंदगी content से बड़ा है।”

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