कभी सोचता हूं —लगता है जैसे life एक लंबी Calendar बन गई है।
कितनी बार हम अलार्म की आवाज़ से नींद खोलते हैं, टूथब्रश हाथ में होता है लेकिन दिमाग़ में मीटिंग की स्लाइड्स चल रही होती हैं। रात को खाना खाते वक़्त भी Excel की फाइलें ही घूमती हैं दिमाग में। 8 बजे नाश्ता, 9 बजे ऑफिस लॉगिन, 10 बजे बॉस की मीटिंग — और फिर पूरा दिन एक वर्कशॉप की तरह, जिसमें “mental bandwidth” की कोई छुट्टी नहीं होती।
कई बार तो मन करता है कि अगर बॉस पूछे — “How are you?”, तो कह दूं — “जैसे चल रहा है, वैसे ही जी रहे हैं, सर।”
सच्चाई ये है कि नौकरी अब एक जरूरत है, इश्क़ नहीं।
सुबह की नींद इसलिए छोड़ते हैं क्योंकि PF कटता है, ओवरटाइम इसलिए करते हैं क्योंकि EMI आती है, और जब कभी छुट्टी लेनी पड़े, तो एक हल्का सा गिल्ट ट्रिप भी साथ आता है।
फिर भी हम हर दिन खुद को समझाते रहते हैं —
“थोड़ा और adjust कर लो…”
“Promotion आएगा तो अच्छा लगेगा…”
“थोड़ी saving हो जाए, फिर passion को time देंगे…”
लेकिन वो “फिर” कभी exact date पर नहीं आता। ऊपर से लोग भी अब इंसान नहीं, designation देखने लगे हैं —
“बेटा, क्या करते हो?”
— “नौकरी करता हूं, आंटी।”
“सरकारी या प्राइवेट?”
— “फिलहाल contractual हूं।”
(और फिर आता है वो हल्का-सा मुस्कुराहट वाला pause, जैसे कह रहे हों — “कोई बात नहीं बेटा, सबकी किस्मत एक-सी नहीं होती।”) कभी-कभी तो लगता है जैसे जॉब अब एक नई “पहचान” बन चुकी है।
सरकारी = मान-सम्मान
प्राइवेट = ठीक है
Contractual = “अभी कुछ नहीं कर रहे क्या?”
लेकिन सच ये है कि नौकरी सिर्फ category नहीं, एक परिस्थिति है।
कोई सरकारी होकर भी burnout से गुज़र रहा है,
कोई कॉन्ट्रैक्ट पर होते हुए भी सुकून ढूंढ रहा है,
और कुछ लोग तो corporate की दुनिया में खुद को भूल चुके हैं।
और तभी दिल से आवाज़ आती है — “हम किसी भी category में हों, हमारी कोशिशें permanent हैं।” हमें सरकारी मुहर की नहीं, अपने इरादों की ज़रूरत है। आज भी असली ज़िन्दगी उस chai break में बसती है, जहां तुम दोस्त से कहते हो — “थक गया हूं यार…”
असली शांति उस रात में होती है जब काम के बाद कुछ देर खुद से बात करने का वक्त मिलता है। और कभी-कभी, वो random 3am वाला सवाल — “क्या मैं वाकई खुश हूं?” यही तो असली जीवन है —
कोई feedback form नहीं,
कोई performance appraisal नहीं।
बस वो कुछ लम्हे जब हम अपनी pace पर जीते हैं।
Life Badi Hai, Job Toh Sirf Ek Chhota Part
ऑफिस एक tab है ज़िन्दगी की browser में — कभी-कभी बाकी windows भी खोल लो। इसलिए आज अगर Sunday को Monday का डर सता रहा हो — तो थोड़ी देर के लिए “login” को pause कर दो…
और खुद से कहो —
“मैं काम भी करूंगा, लेकिन खुद के लिए जीना नहीं भूलूंगा।” Because – Life Badi Hai, Job Toh Sirf Ek Chhota Part Hai….
क्योंकि आख़िर में याद वो पल रहेंगे जो तुम्हारे थे — न कि ऑफिस की वो फाइलें जिन्हें किसी ने कभी दोबारा खोला भी नहीं।