Budgeting for Beginners- Strategies 2026 Step-by-Step Guide for Beginners

Budgeting for Beginners: 5 Proven Strategies to Save More in 2026

सोचिए ज़रा… महीने की पहली तारीख को सैलरी आती है, लेकिन 15 तारीख तक ही ऐसा लगता है कि अकाउंट में “आलू-प्याज” बचा है। उसके बाद या तो क्रेडिट कार्ड निकालना पड़ता है, या फिर दोस्तों से “भाई, थोड़ा उधार दे दे, अगले महीने लौटा दूंगा” वाला डायलॉग मारना पड़ता है।

अगर ये हाल आपकी भी है तो घबराइए मत। आप अकेले नहीं हैं। भारत के ज्यादातर युवा, स्टूडेंट्स और नए जॉब करने वाले इसी सिचुएशन से जूझते हैं। वजह साफ है – हमें कमाने से पहले खर्च करना आता है, लेकिन बजट बनाना कोई सिखाता नहीं।

मुझे खुद याद है – मेरी पहली जॉब में ₹25,000 की सैलरी आती थी। पहले हफ्ते Pizza Hut, Domino’s, PVR, नए जूते, और फिर महीने के आखिर में हालत ये कि ₹200 बचते थे और Metro Smart Card में डालने पड़ते थे। उस वक्त एहसास हुआ – “यार, कमाने से ज्यादा ज़रूरी है संभालना।”

और यही से शुरू हुई मेरी Budgeting Strategies की journey

आज इस आर्टिकल में मैं आपको वही 5 आसान Budgeting for Beginners लेकिन लाइफ बदल देने वाले तरीके बताऊँगा जो मैंने खुद अपनाए। साथ ही कुछ नई personal finance tips भी शेयर करूँगा, ताकि आप सिर्फ बजट बना ही नहीं, बल्कि सही तरीके से पैसा सेव और multiply भी कर सकें।

Budgeting Strategies for beginners सीखने से पहले कुछ टिप्स (Some tips before learning how to make a budget)

Tips 1. Stepअपनी इनकम और खर्चों को जानें (Know your income and expenses)

महीने के पहले हफ्ते में तो ऐसा लगता है कि “जिंदगी मस्त है, पैसा है तो मज़ा है।” लेकिन जैसे ही 20 तारीख आती है, हालत ये हो जाती है कि UPI खोलने से पहले ही डर लगता है कि कहीं “Insufficient Balance” का popup न आ जाए।

असल दिक्कत ये है कि हमें पता ही नहीं होता कि पैसा कहां गया। हम बस इतना जानते हैं कि सैलरी आई थी और अब गायब है। यहीं पर काम आता है पहला और सबसे ज़रूरी स्टेप – अपनी इनकम और खर्चों का एक्स-रे करना।

जब मैंने पहली बार अपनी salary (₹25,000) का हिसाब लिखना शुरू किया, तो shock लग गया। मुझे लगता था –

  • Rent और bills तो obvious हैं।
  • बाकी थोड़ा-बहुत बाहर खाना और Ola-Uber।

लेकिन जब महीनेभर का हिसाब निकाला, तो ये

Fixed Expenses (ज़रूरी, हर महीने same)

  • Rent: ₹7,000
  • Electricity + Internet: ₹1,500
  • Travel (Metro/Bus/Petrol): ₹2,000
  • Basic Food/Groceries: ₹4,000
    Total = ₹14,500

Variable Expenses (बदलते रहते हैं)

  • बाहर खाना: ₹2,500
  • OTT + Subscriptions: ₹500
  • Shopping: ₹2,000
  • Miscellaneous (दोस्तों के साथ घुमाई, chai-sutta): ₹1,000
    Total = ₹6,000

अब देखिए – ₹25,000 की salary में से ₹20,500 तो गायब हो चुका है। बचा? सिर्फ ₹4,500। अगर आप track नहीं करेंगे तो ये ₹4,500 भी धीरे-धीरे “Zomato, Swiggy, Flipkart” में उड़ जाएगा।

कैसे पता करें अपना पैसा कहां जा रहा है?

  • Notebook तरीका – हर खर्च लिखो (हाँ, ₹20 की चाय भी)।
  • Excel/Google Sheet तरीका – Incomes और Expenses को column-wise डालो।

Tips 2. जरूरतों और चाहतों में फर्क पहचानें (Recognize the difference between needs and wants)

Budgeting का सबसे बड़ा सच यही है – हम ‘जरूरत’ और ‘चाहत’ में फर्क करना भूल जाते हैं।

ज़रूरत (Needs):

  • किराया
  • खाना (basic groceries, दाल-चावल, सब्ज़ी)
  • बिजली-पानी-बिल
  • ट्रांसपोर्ट (office जाने के लिए)

चाहत (Wants):

  • Netflix/Amazon Prime की सब्सक्रिप्शन
  • Zomato/Swiggy से रोज़ ऑर्डर करना
  • iPhone लेना सिर्फ दिखावे के लिए
  • हर महीने शॉपिंग

अगर आप हर हफ्ते ₹500 Zomato पर खर्च करते हैं, तो महीने में ₹2000 सिर्फ “चाहत” पर निकल रहा है। वही पैसा SIP या FD में डालो तो सालभर में ₹24,000 + ब्याज बच सकते हैं। बजट का मतलब ये नहीं कि आपको हर मज़ा छोड़ना है। हाँ, लेकिन प्रायोरिटी सेट करनी है।

Budgeting for Beginners- Trending Budgeting Strategies- Paise kaise bachaye

Trending Budgeting Strategies for Beginners : Paise kaise bachaye

1. Zero-Based Budgeting – हर -एक पैसे को एक काम दें

सोचिए, salary आती ही है और खर्चों का हिसाब नहीं हो पाता। मैंने जब Zero-Based Budgeting (ZBB) अपनाया, तो पता चला मेरी समस्याएं उसी दिन खत्म हो गईं। विचार कहता है: आपकी income में से जो भी बचा, उसका इस्तेमाल किसी काम के लिए ही होना चाहिए — बाकी कुछ भी नहीं रहना चाहिए। जैसा Dave Ramsey बढ़िया कहते हैं — “Give every dollar a job”

मैंने एक spreadsheet बनाई जिसमें हर खर्च — Rent, LIC premium, mobile recharge, groceries, emergency fund, SIP, PPF, festival बजट — सब लिख दिए। आख़िर में balance = ₹0। लगता है थोड़ा ज़्यादा मेहनत है, लेकिन जब महीने के अंत में पता हो कि हर पैसा इस्तेमाल में आ गया है — बिना waste के — यह भावनात्मक रूप से बेहद satisfying होता है।

Zero-based budgeting ने मुझे सिखाया कि “पैसे की परवाह नहीं, उससे कुछ purposeful करने में मज़ा है।” The Guardian भी कहता है कि यह method “every penny has a purpose” बनाता है

2. 50/30/20 rule से करें शुरुआत

जब हम पहली बार बजट बनाने की सोचते हैं तो सबसे बड़ी दिक्कत ये होती है कि “पैसा कहाँ कितना डालना है?”
किसी को समझ नहीं आता कि कितना खर्च सही है, कितनी बचत होनी चाहिए और कितना मज़े पर उड़ाना चाहिए।
ऐसे में 50/30/20 रूल आपके पैसों का Google Maps है – साफ़-साफ़ रास्ता दिखा देता है।

यह नियम कहता है:

  • 50% Needs (ज़रूरतें) → घर का किराया, बिजली-पानी-बिल, खाने-पीने का सामान, EMI, ट्रांसपोर्ट आदि।
  • 30% Wants (चाहतें) → बाहर का खाना, Netflix, नयी शर्ट, Goa trip, weekend पार्टी।
  • 20% Savings/Investment (बचत) → PPF, SIP, FD, Insurance, Emergency Fund।

3. Envelope System – पुराने जमाने का cash & new digital mix

अपने घर में envelope budgeting से जरूर परिचित हो, हर category के लिए cash निकालकर अलग envelope में रख देते थे। लेकिन मैं इसे एक step आगे लेकर जाना चाहता था — इसलिए मैंने digital wallets में virtual envelopes बनाए (जैसे Friends/Gifts, Travel, Shopping आदि)।

मैं offline दिन में ₹500 निकालकर real envelope में रखता हूँ – अगर वह खत्म हो गया, तो मैं उस category से खर्च नहीं कर सकता। और virtual wallet में भी festival/party funds अलग से रखता हूं। इस mix ने हमें impulse खर्चों से बचाया और एक संतुलित खर्च वाला माह बना दिया।

4. Rule of 1% – रोज़ एक छोटा कदम, बड़ा financial बदलाव

James Clear की Atomic Habits बताती है कि छोटे, incremental changes बड़ा असर करते हैं। इसीलिए मैंने अपना Rule of 1% अपनाया — हर दिन सिर्फ 1% खर्च ट्रैक करना। मतलब सिर्फ 5–10 मिनट निकालकर देखो कितनी coffee, recharge, taxi या snacks पर पैसे गए।

हर रोज़ मैं note करता हूँ: आज कितना खर्च हुआ – और category-wise categorize कर लेता हूँ। महीने भर ऐसा जारी रहा तो पता चला कि रोज़ ₹100 की “extra chai” सालभर में ₹36,500 ले जा रही थी। जब मैंने इस आदत को छोड़ा, तो महीने के ₹3000 तक बच गए effortlessly।

यह micro habit स्वाभाविक रूप से आपको बेहतर decisions लेने में मदद करता है — जैसे Monday को decide करो “coffee-self-control” रखना, Tuesday को आज “shopping impulse पर करीबू नहीं करना” — और ये सब चेन reactions की तरह चलते रहते हैं।

5. Reverse Budgeting – पहले खुद को भरपूर पैसा दें

बढ़िया बात ये है कि इस साल मैं ने Reverse Budgeting को अपनाया — यानी salary आते ही सबसे पहले saving/investment को पैसा दे देना। Investopedia इसका नाम “pay yourself first” strategy बताता है, जिसमें savings और emergency fund को automate किया जाता है, और बाकी खर्चों पर ध्यान बाद में जाता है

जैसे कि salary ₹25,000 आते ही ₹2,000 SIP, ₹1,500 PPF, और ₹1,000 emergency fund में चला जाता है — बाकी ₹20,500 से महीनेभर manage होता है। इससे बचत automatic हो जाती है, और खर्च करने से पहले ही पैसा सुरक्षित हो जाता है। मैं इस ट्रिक का इतना fan हूँ कि इसे “reverse magic” कहने को जी करता है।

आज के समय में बजटिंग सिर्फ “खर्च कम करो” तक सीमित नहीं रह गई है। अब Budgeting Strategies के स्मार्ट तरीके अपनाने ज़रूरी हैं। 2025 में जो strategies चलन में हैं, उनमें सबसे अहम है – सरकारी सुरक्षित योजनाओं को Budget का हिस्सा बनाना।

Public Provident Fund (PPF) – लंबी रेस का घोड़ा

PPF को मैं “आम आदमी का retirement fund” कहता हूँ। ये स्कीम 15 साल की लॉक-इन के साथ आती है, लेकिन इसमें ब्याज दर बैंक से कहीं ज्यादा होती है (अभी ~7.1%) और सबसे बड़ी बात – इसमें टैक्स का कोई झंझट नहीं। मैंने जब पहली बार PPF अकाउंट खोला था और हर महीने ₹5000 डालने का डिसिप्लिन बनाया, तो कैलकुलेशन देखकर हैरान रह गया।

मान लीजिए आप 25 साल की उम्र से हर महीने ₹5000 डालते हैं –

सालाना इन्वेस्टमेंट = ₹60,000

15 साल बाद टोटल इन्वेस्टमेंट = ₹9 लाख

ब्याज मिलाकर (7% compounding) = लगभग ₹15–16 लाख

यानी जो पैसा आप धीरे-धीरे डालते हैं, वो खुद ही अपने बच्चों का एजुकेशन फंड या आपके घर के डाउन पेमेंट में बदल सकता है।

Sukanya Samriddhi Yojana – बेटियों के लिए सबसे सुरक्षित खज़ाना

अगर आपके घर में बेटी है, तो Sukanya Samriddhi Yojana आपके लिए वरदान है। सरकार ने इसे बेटियों की पढ़ाई और शादी के खर्च को ध्यान में रखकर बनाया है। इसमें ब्याज दर और भी ज्यादा है (~8%), टैक्स का कोई टेंशन नहीं और सबसे खास – बच्ची के 21 साल की उम्र पर मैच्योर होगा।

मैंने जब अपनी बेटी के लिए हर महीने सिर्फ ₹2000 डालना शुरू किया, तो उसने पूरा कैलकुलेशन दिखाया। 21 साल बाद मेरे पास करीब 12–13 लाख रुपए होंगे। सोचिए, ये पैसे बेटी की हायर एजुकेशन या शादी के वक्त कितने काम आएंगे।

इसका सबसे बड़ा फायदा ये है कि ये सेविंग आपको मजबूर करती है – क्योंकि बीच में आसानी से निकाल नहीं सकते। यानी “मन किया तो निकाल लिया” वाला बहाना भी खत्म।

Bonus Tip Budgeting for Beginners – Salary कम है तो क्या करें?

अगर आपकी सैलरी कम है (20k–25k), तो 50/30/20 प्रैक्टिकल नहीं लगेगा। ऐसे में आप इसे customize कर सकते हैं: 60/20/20 Rule → 60% Needs, 20% Wants, 20% Savings या 70/20/10 Rule → 70% Needs, 20% Savings, 10% Wants, मतलब चाहतों को थोड़ा टाइट कर दो, लेकिन बचत का हिस्सा हमेशा रखो। बजट एक बार बनाकर भूल जाने वाली चीज़ नहीं है। अपने बजट को रिव्यू करते रहें (Keep reviewing your budget) जैसे आप हेल्थ चेकअप करते हैं, वैसे ही financial checkup करना जरूरी है। हर महीने के आख़िर में देखें कि आपका असली खर्च आपके बजट से मैच कर रहा है या नहीं। जहां ओवरस्पेंडिंग हो रही है, अगले महीने वहां कटौती करें। नए गोल्स सेट करें (जैसे – 6 महीने में नया लैपटॉप खरीदना या Goa ट्रिप प्लान करना)।

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My Realistic Monthly Budget Strategies (Salary ₹25,000)

CategoryAmount (₹)Details
Rent7,000Need
Electricity + WiFi1,500Need
Grocery4,000Need
Mobile Recharge499Need
LIC Premium1,000Safety
Travel (Metro/Petrol)2,000Need
Eating Out1,500Want
OTT + Entertainment800Want (Reduced)
Shopping2,000Want
Gifts + Festivals1,000Want
Medicines500Need
School Fee1,700Need (Child)
SIP (Mutual Funds)1,000Investment
PPF1,500Investment
SSY (Sukanya)1,000Investment
Emergency Fund2,001Safety (Increased)

निष्कर्ष (Conclusion on Budgeting for Beginners)

तो ये थे, Best 5 Budgeting Strategies for Beginners, यह सिर्फ पैसों की गिनती का खेल नहीं है, बल्कि ये आपकी लाइफस्टाइल और फ्यूचर को बदलने वाली स्किल है।

जब आप जानेंगे कि पैसा कहां जा रहा है, चाहत और ज़रूरत में फर्क करेंगे, 50/30/20 रूल अपनाएंगे और बचत को ऑटोमेट करेंगे, तो यकीन मानिए – पैसा आपका गुलाम होगा, आप उसके नहीं।

तो अगली बार जब सैलरी आए, तो बजट बनाइए। और जब दोस्त बोले “चलो गोवा चलते हैं”, तो आप बिना टेंशन बोले – “चलिए भाई, बजट में पहले से सेट है!”

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