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Shaadi ki Sherwani : Groom Ki Nazar Se Expectations vs Reality

जब मैं Shaadi ki Sherwani पहनकर दूल्हे की तरह सजा-धजा बारात में निकला था, उस दिन मुझे लग रहा था कि मैं किसी हिंदी फ़िल्म का हीरो हूँ- “Mujhse Shadi Karogi”। चारों तरफ़ लाइटें, बैंड-बाजे, पटाखे और मेरे ऊपर दर्जनों कैमरों की फ़्लैश। दर्पण में खुद को देखा तो ऐसा लगा कि अगर आज पृथ्वी पर बादशाह अकबर और शाहजहाँ दोबारा ज़िंदा हो जाएँ, तो भी मुझसे जलन खाने लगेंगे। इतना रॉयल लुक था मेरा।

बॉलीवुड का बड़ा असर है हमारी शादियों पर। असलियत तो ये है कि जब मैं शेरवानी लेने दुकान पर गया था, तो दुकानदार ने मुझे ऐसा ट्रीट किया जैसे मैं करन जौहर की अगली शादी-थीम वाली फ़िल्म में हीरो बनने जा रहा हूँ।

“भाईसाब, ये Sherwani तो बिल्कुल शाहरुख़ खान – दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे वाली है।”

लेकिन फिर शादी ख़त्म हुई, रिसेप्शन हुआ, मेहमान घर चले गए, और मैं अपनी दुल्हन लेकर घर लौट आया। उस दिन के बाद से मेरी ज़िंदगी में दो चीज़ें बदल गईं – पहला, घर में ‘हमेशा पत्नी का कहना मानना’ वाला नियम लागू हो गया। और दूसरा, वो 30 हज़ार की शेरवानी, जो शादी में मेरी शान बनी थी, सीधा आलमारी में टाँग दी गई और तब से वहीं है। उसके बाद से तो हाल ये है कि जब भी आलमारी खोलता हूँ, तो कोने में टँगी वो शेरवानी मुझे घूर-घूर कर देखती है। कभी लगता है पूछ रही हो – “भाई, मैं अब फिर कब बाहर घूमने जाऊँगी? या मेरी किस्मत यहीं सड़ने में लिखी है?”

भारतीय शादी में शेरवानी पहनना सिर्फ़ एक फैशन स्टेटमेंट नहीं है, बल्कि परंपरा का हिस्सा है। पहले के ज़माने में राजा-महाराजा रेशम, जरी और ब्रोकेड की शेरवानी पहनकर अपनी शाही पहचान दिखाते थे। आज भी नॉर्थ इंडिया की शादियों में दूल्हे की शेरवानी को राजसी गौरव से जोड़ा जाता है। यहाँ तक कि अलग-अलग राज्यों की अपनी-अपनी खासियत है – लखनवी चिकनकारी की शेरवानी, बनारसी सिल्क की शेरवानी, और राजस्थान की भारी एम्ब्रॉइडरी वाली शेरवानी।

हर शादी में दिल में एक ख्वाहिश

अब कोई भी शादी का कार्ड घर आता है, तो सबसे पहले दिमाग में यही सवाल आता है – “क्या इस बार Shaadi ki Sherwani पहन लूँ?” लेकिन फिर सोचता हूँ –

  • अगर कलीग की शादी है, तो सब लोग सूट-बूट में होंगे। मैं अकेला राजा हरिश्चंद्र बन जाऊँगा।
  • अगर दोस्त की शादी है, तो बाकी सब फ्री में मस्ती करेंगे और मैं दूल्हे का फर्जी डुप्लीकेट लगूँगा।
  • अगर किसी कज़िन की शादी है, तो घर वाले बोल देंगे – “भाई, तू अपनी शादी वाला टेंट क्यों पहन रहा है?”
  • मतलब साफ़ है – शादी के बाद आदमी को शेरवानी पहनने का मौक़ा सिर्फ़ dream में मिलता है।

पत्नी की मासूम मगर खतरनाक मुस्कान

सबसे बड़ा दर्द तो तब होता है जब पत्नी आलमारी साफ़ करते हुए हाथ में शेरवानी निकाल लेती है। उसकी नज़रें वैसे होती हैं जैसे CID वाला ACP प्रद्युमन सबूत पकड़ता है। फिर बड़ी मासूमियत से बोलती है –

“इतने पैसे लगाए थे इसमें, और अब धूल खा रही है। तुम्हें तो सूट ही पहनना था।”

अब मैं उसे क्या समझाऊँ? कि शादी से पहले वही तो कह रही थी – “शेरवानी में तुम प्रिंस लगोगे।” और अब वही कह रही है – “क्यों पहनी थी?” मैडम, ये तो वही बात हो गई कि शादी से पहले आदमी बोलता है – “जान, चाँद-तारे तोड़ लाऊँगा।” और शादी के बाद वही आदमी दूध का पैकेट लाने में भी बहाने बनाने लगता है।

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दोस्तों के ताने

दोस्तों का मामला और भी खतरनाक है। जब कभी शादी में जाने का मन बनता है और कह देता हूँ कि इस बार शेरवानी पहनूँगा, तो सब मिलकर मज़ाक उड़ाने लगते हैं –
“ओये, फिर से बारात लेके आना क्या? तेरी तो बीवी भी सोचेगी कि ये मेरा दूसरा विवाह कर रहा है।”

कोई बोलता है – “Shaadi ki Sherwani में तू नहीं, बस तेरी EMI दिखती है।”
कोई बोलता है – “भाई, तू शेरवानी पहन ले, पर बारात में दूल्हे की ज़रूरत नहीं है।”

शरीर का सबसे बड़ा धोखा

चलो मान लो, हिम्मत करके शेरवानी निकाल भी ली। अब जब पहनने की कोशिश करता हूँ, तो पता चलता है – शादी के बाद वाली दाल-बाटी, आलू के पराठे, और मटन करी ने ऐसा कमाल किया है कि बटन बंद ही नहीं हो रहे।

पहले जहाँ Shaadi ki Sherwani पहनकर मैं मॉडल लग रहा था, अब वहीं पेट बाहर लटक रहा है। हालत ऐसी हो गई है कि नीचे पजामा फँस रहा है, ऊपर गला घुट रहा है। शेरवानी भी सोचती होगी – “ये मोटा मेरे लिए ही बना था?”

बच्चों की शादी तक संभाल कर रखूँ?

कुछ लोग सलाह देते हैं – “अरे भाई, इसे बच्चों की शादी तक संभाल कर रखो। बेटा बड़ा होगा तो उसके काम आएगी।”
लेकिन मुझे अच्छी तरह पता है – जब तक मेरा बेटा बड़ा होगा, तब तक फैशन बदलकर नए जमाने का होगा। वो कहेगा – “पापा, मुझे तो शादी में ब्लेज़र पहनना है। Sherwani तो uncool है।” मतलब ये भी आइडिया फेल।

रेंट पर देने का खतरनाक सपना-

कभी-कभी सोचता हूँ कि इसे रेंट पर ही दे दूँ। आखिर अब तो ऐसे कई प्लेटफॉर्म आ गए हैं जहाँ शादी की ड्रेस किराए पर मिलती है। लेकिन फिर दिमाग में डर आता है – अगर किसी ने इसमें पान खा के दाग़ डाल दिए तो? या फिर DJ पर नाचते-नाचते सिलाई फट गई तो? मेरी 30 हज़ार की शान हमेशा के लिए बर्बाद हो जाएगी।

रिश्तेदारों का नजरिया-

कभी अगर पहनकर चला भी गया तो रिश्तेदारों का अलग ही ताना
“अरे ये तो वही अपनी शादी वाली शेरवानी पहन आया है। अब समझ नहीं आता – पहनूँ तो दिक़्क़त, न पहनूँ तो पैसा बरबाद।

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धोबी की गवाही-

एक बार तो मैंने धोबी को ही दे दी कि ज़रा प्रेस कर दे। उसने हाथ में पकड़ते ही कहा –
“साहब, ये तो बहुत भारी है। इसमें इस्त्री लगाने से तो मुझे भी पसीना आ जाएगा।” मैंने मन ही मन सोचा – “भाई, तू धोबी है, तुझे पसीना आना स्वाभाविक है। लेकिन सोच, मुझे इसमें शादी में नाचना पड़ा था।”

सेल्फी और सोशल मीडिया –

अब सोशल मीडिया ने तो और मुसीबत बढ़ा दी है। अगर कहीं पहन भी लिया और फोटो डाल दी, तो सब पूछेंगे –
“भाई, ये शादी की फोटो दोबारा क्यों डाल रहा है?”
क्योंकि शेरवानी पहनते ही लोग मान लेते हैं कि या तो तुम्हारी शादी हो रही है।

Wedding Prep Tips


“अगर आप भी शादी की तैयारी कर रहे हैं, तो कुछ बातें ध्यान में रखिए –

  • शेरवानी हमेशा अपने body type के हिसाब से सिलवाइए। बहुत ढीली होगी तो आप tent लगेंगे, और बहुत tight हुई तो DJ पर दो गाने के बाद ही दम घुट जाएगा।
  • कलर चुनते वक्त अपनी दुल्हन के आउटफिट का ध्यान रखिए। अगर दुल्हन लाल लहंगा पहन रही है और आप bottle green शेरवानी पहन लेंगे, तो लोग कहेंगे ‘Christmas Couple आ गया’।
  • शादी की शेरवानी भारी होती है, इसलिए आरामदायक जूते लेना ज़रूरी है। वरना सात फेरे तो छोड़िए, बारात में ही घुटनों में दर्द शुरू हो जाएगा।”

अंत में-

आख़िरकार मैं इस नतीजे पर पहुँचा कि शादी की शेरवानी असल में शादी के दिन की trophy होती है। जैसे क्रिकेटर वर्ल्ड कप उठाकर trophy case में रख देता है और फिर उसे रोज़-रोज़ नहीं घसीटता, वैसे ही शादी की शेरवानी भी trophy बनकर आलमारी में टँगी रहती है। उसकी असली जगह बाहर नहीं, बल्कि यादों में होती है। वो आपकी जिंदगी के कुछ हसीन पलो की यादे है ।

Fashion Advice : आजकल शेरवानी के साथ experiment का ज़माना है। अगर आपको लग रहा है कि शादी के बाद आपकी शेरवानी बेकार हो जाएगी, तो इन फैशन हैक्स को अपनाइए –

  • शेरवानी को अलग-अलग पैंट्स या जीन्स के साथ mix-match कर सकते हैं। हल्के फंक्शन में यह Indo-Western लुक देगा।
  • अगर embroidered शेरवानी है, तो सिर्फ़ jacket-style हिस्सा किसी plain kurta के ऊपर पहन सकते हैं।
  • Accessories जैसे brooch, stole और safa बदलकर आप हर बार नया लुक create कर सकते हैं।
  • और हाँ, अगर बिल्कुल पहनने का मौका नहीं मिल रहा, तो इसे rent पर देकर किसी और की शादी का hero बनने में मदद कर दीजिए – पैसे भी बचेंगे।”

हाँ, मैं कभी-कभी जब बीवी घर पर नहीं होती, तो मैं चोरी-चुपके शेरवानी पहनकर आईने के सामने खड़ा हो जाता हूँ। फिर खुद को देखकर सोचता हूँ – “वाह, उस दिन मैं सच में दूल्हा था।” और पाँच मिनट बाद उतारकर फिर वही जीन्स-टीशर्ट पहन लेता हूँ।

शादीशुदा मर्द की हक़ीक़त – Shaadi ki Sherwani अब कब पहनूँ, समझ ही नहीं आता!

तो अब यही समझ आया है – Shaadi ki Sherwani हमेशा आलमारी में टंगी रहना नहीं चाहिए। कभी-कभी चोरी-चुपके उसे निकालो, पहनकर आईने में देखो, और उस पल को पूरी तरह महसूस करो। जैसे फिर से वही शादी वाला रोमांच और रॉयल फीलिंग लौट आई हो। हाथ में फैब्रिक की नर्मी, कंधों पर बैठी डिजाइन की चमक, और दिल में वही गर्व – बस वही पल है जिसे जी लो। उस समय हर टेंशन, पेट की चिंता, दोस्तों के ताने सब गायब हो जाते हैं। थोड़ी देर के लिए महसूस करो कि तुम फिर से दूल्हा हो, और बस… रिलैक्स हो जाओ।

ज़िंदगी की भागदौड़ में ये छोटा सा पल ही कभी-कभी सबसे बड़ा तोहफ़ा बन जाता है।

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