Friendship का सफर: टिफिन से टॉयलेट तक और टपली से शादी तक
सुबह उठते ही फोन घनघनाया – WhatsApp पर एक फोटो आया जिसमें दो दोस्त पंखा पकड़ के झूल रहे थे और नीचे लिखा था – “Happy Friendship Day, ये वही दोस्त हैं जिनकी वजह से तू आज भी EMI भर रहा है।” दिल से हँसी निकल गई। हँसी भी ऐसी कि छत कांप गई और पड़ोसी पूछ बैठे – “क्या हुआ?” अब उन्हें कैसे बताऊँ कि आज Friendship Day है और मेरी पूरी ज़िंदगी उन्हीं दोस्तों की वजह से इतनी रंगीन रही है – जो कभी बचपन और कॉलेज में मेरे जान से प्यारे थे और आज भी दिल के बहुत करीब हैं – बस अब थोड़े मोटे, थोड़ा शादीशुदा और पहले से भी ज्यादा मस्तमौला हो गए हैं।
बचपन की दोस्ती: मासूम और अनमोल
दोस्ती की शुरुआत कहाँ से होती है पता नहीं, पर मेरे ख्याल से तो वहीं से जब एक बच्चा दूसरे बच्चे से पूछता है – “तेरे पास नया रबड़ है?” और वो मुस्कुरा कर कह देता है – “हाँ, लेकिन तू नहीं ले सकता।” वहीं से शुरू होती है असली यारी – स्कूल साथ जाना, साथ बैठकर एक-दूसरे का खाना खाना, साथ में खेलना, दोस्त के स्कूल न आने पर उसे मिस करना, टपली मारने से लेकर ब्रेक में मां के टिफिन से उसकी पसंद की सब्जी चुराकर देने तक। दोस्त एक शक्तिमान होता था और दूसरा डॉ जैकल।
स्कूल की दोस्ती: टिफिन और ट्यूशन का तड़का
स्कूल के दिन खास होते हैं। मैथ्स की क्लास में पीछे बैठ कर “Love Calculator” चलाना और Chemistry की क्लास में “Bromine” को “Bro ka mine” कहना – यही था हमारा एडवांस एजुकेशन। कोई फॉर्म भरने आता था तो सबसे पहला सवाल – “तेरे पास नीला पेन है?” अगर हाँ, तो दोस्ती पक्की। वरना – “जा बे, तेरी स्याही सूख जाए।”
टीचर जब सवाल पूछते थे, तो दोस्त चुपके से कॉपी खोल कर जवाब दिखाता था। क्लास में बोर होने पर बहाना बना कर दोस्त के साथ टॉयलेट जाना। लंच टाइम में एक दोस्त का टिफिन कभी खुलता ही नहीं था – क्योंकि बाकी सभी दोस्त मिलकर ही उसका टिफिन निपटा देते थे। उस बेचारे को तो अपनी माँ की बनाई मटर पनीर की फोटो ही देखनी पड़ती थी।
एक बार एक दोस्त ने टिफिन में जानबूझकर करेले की सब्ज़ी डाल दी, और जैसे ही हमने मुँह में डाला, वो बोला – “अब खा इसे, मेरी माँ का बदला लिया।”
कॉलेज की दोस्ती: मस्ती और मायने
कॉलेज की दोस्ती एक अलग ही अनुभव है। यहाँ दोस्त ऐसे बनते हैं जैसे चाय के साथ बिस्किट – अलग भी कर दो, तो भी स्वाद नहीं आता। यही वो दौर होता है जब दोस्त एक-दूसरे की अटेंडेंस लगाते हैं, नोट्स शेयर करते हैं और बर्थडे पर केक नहीं, मुँह पर फुल मेकअप करते हैं।
मेरा एक दोस्त था, राकेश – नाम से सीधा, काम से शानदार। हर किसी से ऐसा बात करता था जैसे HR इंटरव्यू ले रहा हो – “आपका नाम बहुत अच्छा है, वैसे आप खुद भी…” और फिर मैं – उसका सच्चा दोस्त, बीच में बोलता – “ये वही है जिसने कल गूगल पर ‘how to impress girls in college’ सर्च किया था।”
एक बार हमने एक नए दोस्त से पूछा – “अंग्रेज़ी में बताओ – ‘मैं बहुत शरीफ लड़का हूँ’।” उसने बोला – “I am virgin minded.” उस दिन से उसका नाम पड़ गया – ‘वर्जिन’।
वो दोस्त जो प्रेम-गुरु बने रहते हैं
ये वो होते हैं जो खुद सिंगल होते हैं, लेकिन दूसरों की लव स्टोरी सेट कराने में एक्सपर्ट बनते हैं। बोलेंगे – “भाई, थोड़ा attitude दिखा, लड़कियाँ पिघलती हैं।” और उसी शाम उन्हें उनकी क्रश ने भाई बोल दिया होता है।
ऐसा दोस्त बोलेगा – “तू बात शुरू कर, मैं पीछे से सपोर्ट करूँगा।” लेकिन खुद कब गायब हो जाते हैं, पता ही नहीं चलता।
और जब कोई लड़की तुझसे बात करना शुरू करती है, तो तू एक्साइटमेंट में कहता है – “भाई, बात बनने लगी है।” तब वो सधा हुआ जवाब देगा – “ध्यान रखना भाई, लड़कियाँ clever होती हैं।”
और जब बात पक्की हो जाए, तो वही दोस्त बोलेगा – “अबे तू तो बदल गया यार!”
PG लाइफ: दोस्त, रूममेट और परिवार
कॉलेज खत्म होते ही PG लाइफ शुरू होती है, जहाँ दोस्त रूममेट बनते हैं और रूममेट दिल के बेहद करीब। एक बेड, तीन लोग और एक गैस सिलेंडर – यही था हमारा जीवन।
सुबह आवाज़ आती – “दूध गरम कर, नहीं तो चाय नहीं मिलेगी।” नहाने की लाइन, टॉयलेट की लड़ाई, और रात को मैगी को ऐसे देखना जैसे त्योहार का प्रसाद हो – यही थी हमारी लाइफ।
एक दोस्त था – CM, जिसे हर नई वेब सीरीज़ देखकर नई प्रेरणा मिलती थी। “Money Heist” देखकर बोला – “बैंक लूट लें?” मैंने कहा – “पहले लोन चुकता कर ले।”
शादी के बाद: दोस्ती की मीठी यादें
शादी के बाद दोस्ती थोड़ी बदल जाती है। अब बातचीत व्हाट्सऐप ग्रुप तक सीमित रह जाती है – “Good Morning”, “Happy Friendship Day”, “Forwarded as received”। लेकिन जब कभी मिलते हैं तो वही पुरानी बातें, वही मज़ाक – और वही अनमोल यादें ताज़ा हो जाती हैं।
मिलते ही पहला डायलॉग – “कब से पेट बढ़ा रहा है?” दूसरा – “अबे तू तो बाल्ड हो गया है।” और फिर – हँसी जो किसी भी तनाव को मिटा देती है।
एक दोस्त बीवी से झूठ बोलकर मिलने आया – “ऑफिस में मीटिंग है।” तभी पीछे से आवाज़ आई – “भाई, भुजिया ले आ!” फिर अगली सुबह उसकी आंखें सूजी और फोन स्विच ऑफ।
Read Also: Shaadi नहीं हो रही ? Universe की साजिश है भाई !
समय के साथ दोस्त अलग-अलग शहरों में बस जाते हैं, लेकिन दिल से कभी दूर नहीं होते। रात की लंबी बातें अब चैट में बदल जाती हैं।
और एक दिन, सुबह-सुबह मोबाइल पर मैसेज आता है – “अबे, जिंदा है क्या?” बस, उस एक लाइन में सारी पुरानी दोस्ती समा जाती है।
दोस्ती का असली मतलब
दोस्ती वो होती है जिसमें सामने वाला तेरा मज़ाक उड़ाए, लेकिन जब कोई और करे तो तुझे डिफेंड करे। जो तेरे दुःख में बोले – “चल यार, चाय पीते हैं।” और तेरी खुशी में तुझसे ज़्यादा खुश हो जाए।
वो दोस्त जो उधार दे और वापस ना मांगे, क्योंकि उसे पता है – “ये लौटाने वाला नहीं है।” जो तुझसे सिगरेट छुड़वाने के नाम पर खुद दो पी जाए। और तेरी शादी में सबसे ज़्यादा नाचे और बोले – “अबे अब तू गया काम से।”
अंत में बस इतना कहना है…
अगर तेरे पास ऐसा दोस्त है, तो उसे आज कॉल कर के बोल – “भाई, तू ज़िंदगी की सबसे बड़ी खुशी है।” और अगर नहीं है, तो आज ही किसी की दोस्ती का हाथ थाम ले – क्योंकि दोस्ती ही है जो हर मुश्किल को आसान बना देती है।
Happy Friendship Day! ❤️
अगर किसी शब्द या मज़ाक से आपको असहजता महसूस हुई हो, तो क्षमा चाहता हूँ। मकसद केवल मुस्कान लाना था, किसी भावना को ठेस पहुँचाना नहीं।