लोग गिलास उठाकर Cheers कह रहे हैं – एक सामाजिक परंपरा”

Cheers! जाम टकराने की कहानी

Cheers kyu karte hai:-

शादी की रौशनी में चमकती शाम हो, संडे ब्रंच की ढेर सारी मिमोसाओं वाली सुबह, या फिर दोस्तों के साथ बोनफायर के आसपास बैठकर “गर्मियों की ठंडी ड्रिंक्स की चुस्कियाँ।”।
गिलास उठते हैं, आँखों में हल्की सी चमक, कोई चहक के कहता है – “Cheers!”
बाकी सब भी वही बोलते हैं। – Cheers!

हम सब ये कर चुके हैं, बिना सोचे, बार-बार। लेकिन कभी रुके हो ये सोचने के लिए कि आखिर ये “Cheers!” और गिलास टकराने वाला ड्रामा शुरू कहां से हुआ?

मतलब… सीधे गिलास उठाकर पीना ही काफी नहीं?

बात बहुत पुरानी है, और काफ़ी Toast-भरी भी

चलो टाइम मशीन में बैठते हैं और सीधा पहुँचते हैं प्राचीन ग्रीस और रोम। उस दौर में वाइन सिर्फ़ वाइन नहीं थी — देवताओं का प्रसाद थी। हर त्योहार, हर पूजा, हर लड़ाई के बाद जश्न — सबमें वाइन।

लेकिन साथ में आती थी एक भारी डोज़ डर की: ज़हर।

हाँ, सीरियसली। दुश्मनों को मारने के लिए लोग वाइन में ज़हर मिला देते थे।
तो अगर कोई तुम्हें वाइन ऑफर करता था, तो शक जायज़ था।

इसीलिए ग्रीक होस्ट पहले खुद पीते थे — ताकि मेहमान को लगे कि भाई साफ़-सुथरा माल है।
धीरे-धीरे ये इशारा एक रस्म बन गया:
गिलास उठाना = भरोसा जताना।

🥖 Toast मतलब… असली वाला Toast?

अब आते हैं रोमन जनाबों की बात पर।
इन लोगों ने तो गिलास में जली हुई ब्रेड डालनी शुरू कर दी।

क्या? क्यों?

क्योंकि उनकी वाइन बहुत खराब होती थी — खट्टी और कभी-कभी उल्टी के लायक। जली हुई ब्रेड से उसकी एसिडिटी कम होती थी।
तो जब वाइन के गिलास में ब्रेड डुबोने लगे, तभी “raising a toast” वाली लाइन जन्मी।
मतलब अगली बार जब आप “Let’s raise a toast!” बोलें, तो याद रखिए – आप असल में शराब में ब्रेड डुबाने वाले पूर्वजों को याद कर रहे हैं।

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🛡️ Medieval Style – जब Clink (Cheers!) का मतलब था: मरेंगे तो साथ मरेंगे

मिडीवल टाइम्स यानी यूरोप की वो कहानी जहाँ सबको लगता था कि हर दूसरा बंदा ज़हर देने वाला है।
तो वहाँ गिलास टकराने का एक अलग लेवल का मतलब था:
इतने ज़ोर से टकराओ कि तेरी ड्रिंक मेरी ड्रिंक में मिल जाए।

अगर ज़हर है, तो अब दोनों में है।
अगर तू पी रहा है, तो मैं भी। भाईचारा लेवल – डाई हार्ड

इस ‘clink’ का मतलब बन गया – भरोसा, वफादारी, और कभी-कभी:
“अगर मरेंगे, तो साथ मरेंगे, Cheers!”

👑 दरबार से डिस्को तक

1600s-1700s आते-आते ये Toasting सिर्फ़ सुरक्षा कवच नहीं रहा – ये बन गया स्टेटस सिंबल।
राजाओं के दरबारों में, अगर आपने Toast नहीं उठाया – तो समझो आपने देशद्रोह कर दिया।

हर Toast के पीछे कुछ ना कुछ भावना होती थी — मोहब्बत, राजनीति, या वो बंदा जो उस दिन पहली बार जैम शॉर्ट्स पहनकर आया था।

ये बन गया एक पब्लिक इमोशनल इंस्टा स्टोरी — Live version, जिसमें सबका “cheers!” देना ज़रूरी था।

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🌍 ग्लोबल Clink – एक रस्म, कई भाषाएँ

अब तो दुनियाभर में ये रिवाज़ है:

  • फ्रांस में: Santé
  • इटली में: Salute
  • स्पेन में: Salud
  • जापान में: Kanpai
  • भारत में: सीधा Copy-Paste — “Cheers!”

ये गिलास टकराने की आवाज़ एक ग्लोबल sigh-of-relief बन चुकी है।
भाषा भले बदल जाए, लेकिन उसका मतलब वही है:
हम सब साथ हैं। और आज का दिन मनाने लायक है।

🤔 तो आज भी करते क्यों हैं?

क्योंकि अब ज़हर का डर नहीं है, पर एक दूसरे से जुड़ने की चाह अब भी उतनी ही है।”

क्योंकि एक गिलास की टंकार में छुपी होती है दोस्ती, मस्ती, और ये कहना:

BMJ सारी टेंशन — चलो आज बस जिएँ!”

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